है पिता, तुम्हे शत शत नमन करता हूं।।

Who loves their dad pls read it, and if not, still pls read it, my contribution to all father or mothers playing role of father as well….

कब का बड़ा हो गया मै,
और वक़्त तुझे जरा ना मिला,
अक्सर, कौनसी क्लास में आगाया,
तुम्हारे मुंह से ये प्रश्न निकला,

ये शिकायत रही, मगर जानता हूं तुझे,
ताउम्र, तू हमें खुश देखने की कोशिश में,
खुद की जरूरतों को भूलता रहा,

चाहता तो तू भी है हमे, सबसे ज्यादा,
मगर, हमारी ख्वाहिशें कहीं अधूरी ना रह जाए,
तू अपने प्यार को, जाहिर, वक़्त देकर ना कर सका,

याद है, कैसे, कुछ वक़्त संग बिताने को,
रात डर से सोने पर भी, तू जल्दी उठता था,
मुझे स्कूल के लिए तैयार करने में ही,
जाने कितनी अठखेलियां करता था,
बस कुछ और वक़्त और मिल जाए साथ,
बस को सामने से जाने देकर, स्कूल तक,
छोड़ने का सबब करता था,
ये प्यार ही तो था,

हमने तो हमेशा, तुम्हे एटीएम समझा,
जब कुछ चाहिए, झट से बोल दिया,
कभी, प्यार से तो कभी गुस्सा जाहिर किया
और तुमने ना भी तो ना किया,
जो मांगा, बस दिला दिया, ये प्यार ही तो है

पूरा दिन काम में व्यस्त, शाम थका हारा,
घर आता था, भुला अपने शौक को,
हमारी ख्वाहिशों को पुलंदा सुनता जाता था,
पूरी करने ख्वाहिशें, तू फिर नींद की
परवाह किए बिन, आगे बढ़ने की
तैयारी में लग जाता था, ये प्यार ही तो था,

जाने कितनी नज़्म सुनी मां पर,
और कितने त्याग गिनाए गए,
अक्सर, पिता पर बस इल्जाम लगाए गए,
पर ना जीना, पिता का त्याग जरा,
जो जिंदगी की जद्दोजहद में,
सबसे दूर होता गया, ना अच्छा बेटा,
ना पति, ना अच्छा बाप कहला पाया,
ये कविता में तुझको अर्पित करता हूं,
है पिता, तुम्हे शत शत नमन करता हूं।।

देव

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