अम्मा
A short story by Dev
अम्मा काफी बूढ़ी हो चली थी। उसके चेहरे पर झुर्रियों की कतारें लगी हुई थी। यूं तो उसकी उम्र 65 साल थी मगर झुर्रियों ने उसके चेहरे पर कुछ ज्यादा ही उम्र लिख डाली थी । काफी सालों से अपने उस छोटे से मकान में अकेली रहती थी। हां अकेली थी मगर वह अकेली कहां थी।। उसके मकान के बाहर एक बड़ा सा नीम का पेड़ था रोज सुबह वह अपने घर को साफ करती थी और साथ ही नीम के पेड़ के नीचे गिरी हुई पत्तियों को झाड़ एक जगह इकट्ठा करके एक छोटे से गड्ढे में डाल देती थी। उसका रोज का नियम था सुबह जल्दी उठना फिर अपने घर की सफाई करना घर के कोने में छोटी सी रसोई बनी हुई थी, जिसमें अपने लिए दो रोटी सेक लेती थी। यूं तो उसके पास पर्याप्त धन था, जिससे वह अपना गुजर-बसर चला लेती थी। लेकिन चैन से बैठने की आदत नहीं थी। इसलिए दिन में मोहल्ले में निकल जाती थी और औरतों से मिलती थी। उनकी बातें सुनती थी, उनके किस्से सुनती थी, और अपने बालों की सफेदी के हिसाब से उन्हें सलाह मशवरा भी दे दिया करती थी। मोहल्ले की सारी औरतें उसे इतनी इज्जत देती थी। हां वह अकेली रहती थी मगर ऐसा नहीं था कि उसके संतान नहीं थी। काफी सालों पहले जब बच्चे छोटे थे उसका पति उसे छोड़कर जा चुका था। और धीरे-धीरे उसने अपने बच्चों को पाला, पढ़ाया बड़ा किया और 1 दिन बच्चे भी उसे छोड़ कर चले गए थे। एक बार गए तो कहां वापस आते थे। वह अपनी दुनिया में रम गए थे। और यह थी एक आस लगाए बैठी थी कि दिन उसके बच्चे आएंगे। और यूं ही इतने साल गुजर गए कि अब तो शायद बच्चे चेहरा भी ना पहचान पाए। लेकिन उसने मोहल्ले के बच्चों में अपने बच्चों को देखा और उनकी सहायता करने में जुट गई।
कोने वाले घर में नई नवेली दुल्हन शादी होकर आई थी। बड़ी प्यारी सी थी छोटी सी बच्ची, लेकिन कुछ ही दिनों में उसका चेहरा मुरझाया हुआ सा दिख रहा था। अम्मा ने जब जाने की कोशिश करी तो हतप्रभ रह गई। उस छोटी सी बच्चे को घर में काफी प्रताड़ित किया जा रहा था, क्योंकि वह अपने साथ दहेज नहीं लाई थी। जब अम्मा ने उसके ससुराल वालों से बातें करी तो काफी खरी-खोटी सुनने को मिली। लेकिन अभी कहां चुप बैठने वाली थी और उस छोटी सी बच्ची की सहायता करने की ठान ली। एक दिन तो कुछ अनर्थ होते होते रह गया । उसे उस बच्ची की आवाज सुनाई दी। वह उस घर तक गई तो देखा बच्ची के चिल्लाने की आवाज आ रही थी।
हाय रे यह क्या अनर्थ हो रहा है तुम लोग इतनी बुरी तरह से इस छोटी सी बच्ची को क्यों पीट रहे हो क्या इनकी जिसकी जान ले लोगे।
उसे लगा कि यह तो इस बच्ची को जान से मार डालेंगे। किसी तरह से छुड़ाकर वह उस बच्ची को अपने घर ले आई। लेकिन उसके ससुराल वाले कम नहीं थे और रात के अंधेरे में अम्मा के घर में आग लगाने का षड्यंत्र बनाया। रात में एक बच्चे ने भागकर आकर अम्मा को बताया तो अम्मा परेशान हो उठी और तुरंत अपने पलंग के नीचे से संदूक निकाला। अपनी सारी कमाई उस बच्ची के हाथ में रख कर बोली, बेटा तो तुरंत यहां से भाग जाओ और लौट कर मत आना। वह बच्ची परेशान अम्मा की तरफ देखने लगी । अम्मा ने कहा तू मेरी फिक्र ना कर। मुझे कोई कुछ नहीं कहेगा और बच्ची को आश्वासन देकर रात के अंधेरे में भगा दिया। लेकिन अब क्या कर सकती थी और थोड़ी देर में उसके घर मैं आग लगी हुई थी सुबह तक सब कुछ खत्म हो चुका था।
कुछ दिनों बाद वह बच्ची अपने माता-पिता के साथ अम्मा को संभालने आई। उसके माता-पिता अम्मा को धन्यवाद देना चाहते थे। लेकिन जो कुछ हुआ वह देखकर माता-पिता हतप्रभ रह गए। जब पड़ोसियों से पूछा तो किसी ने अम्मा के जले हुए घर में से बचा हुआ सामान दिखाया। उन्हीं में से बच्ची के पिता को एक फोटो दिखी और उसके पैरों के तले से जमीन खिसक गई। शायद उसके बच्चों ने पहली बार अपने पिता की यह हालत देखी थी। 25 साल बाद उस पिता ने अपनी मां की सूरत देखी थी।
देव
2 जुलाई 2020