क्रमशः
यही कोई पिछले 25 दिनों से वह अपनी किताब लिखने में व्यस्त थी। इन 25 दिनों में उसने कई उतार-चढ़ाव अपनी किताब में लिखे थे। कहानी को कई मोड़ों से मोड़कर यहा तक लेकर आई थी। बड़ी प्यारी सी कहानी लिख रही थी वह, दो दिलो की दास्तान, जो जिंदगी के सफ़र में काफी ठोकरे खाने के बाद एक मोड़ पर मिले थे। अब बस किताब के अंतिम कुछ पढ़ने बचे थे, लेकिन इस मोड़ पर आकर वह बड़ी शंका में थी कि आखिर इस कहानी का अंत कैसे किया जाए। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। पिछले 3 दिनों में वह 4 से ज्यादा बाहर कहानी का अंत लिख चुकी थी। लेकिन हर बार उसे कुछ अधूरापन सा लगता था। जैसे अभी और कुछ लिखना बाकी रह गया है। इसी कमी पेशी के चलते हुए अंत्य है उसने क्रमशः लिखकर किताब ही कर बंद कर दी।
देव
4 जुलाई 2020