छलकती मय के मयखाने

छलकती मय के मयखाने,
तेरी नजरो ने बना डालें,
जुल्फे जो चेहरे पर गिरती से,
पर्दे यूं, हुस्न पर कर डाले,
ग़ज़लें बारिश सी बरसेंगी,
लबों से हटते ही ताले,
कहीं बिजली गिरी होगी,
निगाहों ने क्तल कर डाले।।

देव

13 जुलाई 2020

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