वो फिर से मिली, उसी मोड़ पर,
जहां, अलविदा कहा था कभी,
पीछे मुड़कर, तब भी देखा था,
मगर, कुछ ना कहा था कभी,
अब, जैसे इंतेज़ार में हो,
बहुत कुछ कहने को,
क्यूं नहीं रुका मैं, नहीं थी समझ,
जब उसको, क्यूं नहीं था मैं,
जो अब बन गया हूं,
क्यूं नहीं, थाम हाथ, ले चला,
साथ अपने, सफ़र पर उसको,
अब, काफी दूर निकल आए है,
मगर, दिल कुछ और करीब,
मगर, आज भी, वो दूर उतनी ही है,
जितनी, तब थी, दिल के करीब।।
देव
22 July 2020