चलो, जाने भी दो, बहुत हो गया

चलो, जाने भी दो,
बहुत हो गया,
रूठों को मनाना,
झगड़ों को सुलझाना,
दूसरी के हिसाब से,
खुद का बदल जाना,
नहीं पसंद है, मगर
चाय से बिस्किट खाना,

चलो जाने भी दो,
बहुत हो गया,
जो जा रहे है, उनसे
रुकने की जिद करना,
ना चाहते हुए भी,
किसी की बातों पर हसना,
बहुत प्यार से, उनसे
खाने की मनवार करना।

चलो, जाने भी दो,
बहुत हो गया,
जो नहीं चाहते, उनसे
चाहत की उम्मीद करना,
भुला कर हर किसी की,
शिद्दत से मोहब्बत करना,
ना जाने कितने सावन,
उसके इंतेज़ार में गुजरना।

चलो, जाने भी दो,
बहुत हो गया,
इंतेहा, इंतेज़ार, ऐतबार,
इकरार, इनकार, मनवार,
अब थोड़ा खुद के लिए,
जी लेते है, चलो,
खुद से थोड़ी,
मोहब्बत करते है।।

देव

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