अब कहा बारिश,महफ़िल होगी

अब कहाँ बारिश, भिगोती होंगी,
अब कहाँ जुल्फे चेहरे को ढंकती होगी,
अब कहाँ सज धज कर, निकलती होगी,
अब बस तू है, बस तू ही है।

अब कहा, यारो के तराने है,
अब कहा, जाने के कहीं, बहाने है,
अब कहा, इंतज़ार है किसी का,
अब तो बस मैं हूं, बस मैं ही हूं।

मगर
वक़्त फिर आयेगा, महफ़िल होगी,
जाम होगा, चेहरों पर हसीं होगी,
हाथो में हाथो की, गर्मी होगी,
मैं और तू भूल, हम की, आवाजे होंगी।।

देव

20/08/2020, 2:17 am

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