चल रही थी,मेरी जिन्दगी

यूं तो मेरी जिन्दगी,
काफी बदहवास सी चल रही थी,
मगर, जब मिला तुमसे,
थोड़ी थम सी गई,
या यूं कहूं, तुम्हारी आवाज़ में,
हर आवाज, रम सी गई।।

कुछ तो बात है, यूं ही नहीं,
वक्त ठहर सा जाता है,
जब तुम बोलती हो,
अक्सर माहौल, शांत हो जाता है,
हां, सुनते भी है सब बड़े गौर से तुम्हे,
जैसे, बी.एड. की टीचर का,
पीरियड अक्सर कक्षा में आता है।

तुम्हारे जाते ही, कुछ फुस्कारियां,
सी शुरू हो जाती है,
तुम्हे जानने की, नए लोगो में,
उत्सुकता बढ़ जाती है,
और जो जानते है, उनमें
और जानने की, होड़ सी लग जाती है।

आजकल, ना जाने क्यूं,
शहर कुछ वीरान सा लगता है,
कहीं, दूर शायद, इन दिनों,
चांद का बसेरा है,
और जद्दो जहद कितनी करते है,
एक दीदार करने का तेरा,
मगर, इन वर्चुअल मीटिंग्स में भी,
बन्द रहता है, कैमरा तेरा।

आज कुछ अलग ही, सबकी मुस्कान है,
तू बस एडमिन ही नहीं, इस ग्रुप की जान है।।

देव

05/09/2020, 9:27 am

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