शंकराय शंकराय, हे शिवायें हे शिवायें।
शांत तेरा रूप है, तप में जब तू लीन है।
गंगा जटा से बह रही, चन्द्र शीश पे सजाए।।
भभूत से ढका बदन, सिंह खाल तेरा आसन।
त्रिशूल थाम हाथ में, आकाश में करे ग्रजन।।
शंकराय शंकराय, हे शिवायें हे शिवायें।
शंकराय शंकराय, हे शिवायें हे शिवायें।
माथे पे तीजी आंख है, अग्नि का भण्डार है।
प्रचण्ड रूप तेरा है, अद्भुत स्वरूप तेरा है।।
शंकराय शंकराय, हे शिवायें हे शिवायें।
गण और रूद्र साथ में, लिए मृदंग हाथ में।
हड्डी कपाल से सजी, निकली सवारी तेरी है।।
शंकराय शंकराय, हे शिवायें हे शिवायें।
तीनो लोक दहक उठे, देवो के दिल दहल उठे।
ब्रह्मा विष्णु, नतमस्तक खड़े,तांडव जब शिव करे।।
शंकराय शंकराय, हे शिवायें हे शिवायें।।
देव
08/09/2020, 12:15 pm