हर अश्क पर तेरे, बहेगा लहू मेरा,
तू फ़िक्र ना कर माँ, मैं हूं ना, लाल तेरा।
तान कर तिरंगा,
बेखौफ बढ़ चला,
ये लाल तेरा, तेरी
सरहद पार है खड़ा।
पल में बिगड़ेंगे, उनकी हर एक चाल
तू फ़िक्र ना कर माँ, मैं हूं ना, लाल।।
जमींदोज कर दुश्मन को,
जमी ये बचाऊंगा,
तुझ पर नजर उठाए जो,
नजर वो निकलूंगा।
कर देंगे पल में उन, काफिरों को बेहाल,
तू फ़िक्र ना कर माँ, मैं हूं ना, लाल।।
मेरी बाजुओं में थाम धड़,
दरिंदों का गुजरेंगे,
बाहर तो क्या , अंदर के
दुश्मन भी कापेंगे।
पहनाऊंगा तुझे, दुश्मन की शीशमाल,
तू फ़िक्र ना कर माँ, मैं हूं ना, लाल।।
देव
18/10/2020, 9:07 am