फिर वही वक्त है!

फिर वही वक्त है,
रात फिर से घिर आई है,
और कुछ है,
जो है बस तन्हा,
और है तो बस,
इंतज़ार, ना खत्म होने वाला,
और ये दिल,
ढूंढ रहा है, साथ
बहुत, हाँ,
बहुत दूर तक चलने वाला,
रोज, इसी इंतेज़ार में,
फिर से शाम,
रात का अंधेरा लेकर आती है,
फिर से, करवटें बदलते हुए,
एक और रात कट जाती है,
मगर, हारें नहीं नहीं,
नहीं हारे है हम, अब भी,
अब भी है इक आस,
आज नहीं तो कल,
होगा हमसफर एक साथ।।

देव

12/01/2021, 11:46 pm

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