कुछ सपने, कुछ ख्वाहिशें,
और ज़माने की ये बंदिशे,
कुछ फिक्र कल की,
कुछ आज की सोच,
यूं तो रात है गहरी,
और सुबह नशेमन्न
और इश्क़ है कहा,
है, तो काफी कम।
कुछ किस्से, कुछ कहानियाँ,
कुछ अपनी, कुछ बेगानिया
कुछ फिक्र मे डूबे से,
कुछ बेफिक्र जिंदगीयाॅं
अधजगी सी रातें,
भरी धूप का गरम – पन
और इश्क़ है कहाँ,
है, तो बहुत कम।।
देव
24/01/2021, 10:31 am