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मैं नहीं थीं ऐसी कभी, ये तो वक़्त में बना दिया।
जिसको चाहा बेइंतेहा, छोड़ राहों में चला गया।।

कुछ तो होता सोचा, जरा पूछा तो होता।
बस, दो पल नजरें क्या फेरी, छूमंतर मेरा खुदा हुआ।।

अब तो बस तन्हाइयों में, अक्सर रोती हूं।
रात घनघोर है, पर कहां सोती हूं

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