इजहारे इश्क़ से डरते है

झुकी पलकों से
ताकती नज़रे
कुछ देखती कुछ सुनाती
चेहरे को छुपाती स्याह लटे
रोक लेती है रास्ता

जब भी देखता हूं
इक नज़र उसे
धड़कने दिल की
बड जाती है
हाथो में कुछ
कप कपी सी आती है

बड़ जाऊ दो कदम
और थाम लू हाथ तेरे
या तेरे इजहारे इश्क
का इंतजार करू

या यूं ही बटोरता रहूं
हर पल हर घड़ी
संजोता रहूं तेरी
हर याद
के कहीं हम कहें
और तू इनकार ना कर दे

मेरी मोहब्बत
अभी जवां हुई है
कहीं जरा सी गलती
मुझे उससे जुदा ना कर दे

इसी गफलत में
बस दूर ही से
उन्हें देखते रहते है
चाहते बहुत है पर
इजहारे इश्क़ से डरते है
इजहारे इश्क़ से डरते है

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