जल्दी, क्यों, किस बात की
किसने कहा, कह दो मुझे
बातें, अपनी रात की
अभी, कल ही तो, मिले है हम
कुछ पल, गुजारे साथ में
माना, की है कुछ बाते,
जज़्बात में, रात में
पर, बड़ी जल्दी हो गई
तुम्हे, बांधने की मुझे, पाल से
अब तो जी लेने दे जालिम
मौका मिला है, पहली बार ये
बंधा था, सालो तक, बांध की तरह,
ऊंचा तो था, पर रुका हुआ
अब टूटी है दीवारों,
मदमस्त बना दरियां हूं मैं
अभी तो दीवारों, बाकी है कुछ
रोकने को रास्ता,
तब तक बह लेने दे मुझको
ख़ुदा, दे रहा है रास्ता
प्यासे बहुत है राह में,
बैठे सदियों से सभी
कुछ मिटा दू प्यास मैं
कुछ मिटा लू प्यास मैं