कुछ पल, तसल्ली से बैठो, पास मेरे,
तो बतलाए, हाल ए दिल
थोड़ा तुम करीब आओ, ना शरमाओ
तो बतलाए, हाल ए दिल
चौखटे दरवाजों की,
तकते तकते थक गए
कितने ही दिन, राते, मौसम
इंतेज़ार में तेरे गुजर गए
कभी, इस दर आओ, दस्तक जो तुम
तो बतलाए, हाल ए दिल
महफिलें तस्दीक तुमको
ना तन्हा होती हो कभी
तकते रहते हर पल तुझे
चांद बन रहती हो तुम
चांदनी इधर भी गिराओ, नज़रे मिलाओ
तो बटलाए, हाल ए दिल
देव
Nice poem ji