चलो, इस जहां में तो काफी उलझने है
सवारने में वक़्त क्यू गुजारे
सपनो में ही सही, पास तो है तेरे
आज फिर चलते है, मुसाफिर बनकर
देव
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चलो, इस जहां में तो काफी उलझने है
सवारने में वक़्त क्यू गुजारे
सपनो में ही सही, पास तो है तेरे
आज फिर चलते है, मुसाफिर बनकर
देव