आसमानी परिंदा

आसमानी परिंदा हूं
मनमौजी बाशिंदा हूं
मेरा मुकाम अभी बहुत दूर है
इश्क़ मेरा नहीं जुनून है
बस, चल पड़ा हूं अपनी राहों पर
फ़िक्र नहीं है मुझे अपनी रातों की
तन्हा भी जी लेता हूं
यारो की महफ़िल में पी लेता हूं
मेरे अफसाने लोग सुनाते है
पर मेरे साथ चलने से कतराते है
डर, हां डर मुझे भी लगता है
जब कोई, तुम पसंद हो,
मुझे बोलता है
क्यूं कि
बड़ी मुश्किल से
बहुत दूर तलक आया हूं
अपने ही बनाए बंधन तोड़ पाया हूं
बड़ी मुश्किल से जख्म भरे मेरे
अब क्यूं फिर से कोई
नए जख्म देने आया है
बस, अब और नहीं
अब खुद को पहचान गया हूं मैं
आसमानी परिंदा हूं
मनमौजी बाशिंदा हूं
मेरा मुकाम अभी बहुत दूर है
इश्क़ मेरा नहीं जुनून है

देव

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