तेरे दीदार को अक्सर तरसता हूं
इसीलिए छुप छुप कर मिलता हूं
फ़िक्र नहीं मुझे जमाने से
बस तेरे बदनाम हो जाने से
डरता हूं
तेरी आगोश में सिर रख लू अपना
भुला दू गम जहां के अपने
मेरे बालो को सहला दे अंगुलियों से अपने
चैन से सो जाऊं कुछ पल
बस यही चाहत रखता हूं
पर, अपनी चाहत पर लगाम रखता हूं
बस तेरे बदनाम हो जाने से
डरता हूं
तेरी खवाहिशे अपनों मंजिल बना लू
तेरे सपनों को हकीकत बना दू
चांद तारे तोड़ने की बात नहीं
सितारों से रोशन एक घर बना दू
पर साथ तेरे रहने से बचता हूं
बस तेरे बदनाम हो जाने
डरता हूं
देव