उन्नाव की बेटी

मेरे शरीर से, हर मांस का टुकड़ा
नोच डाला
बेटी बचाओ चिल्लाने वालो ने ही,
बेटी का गला घोट डाला

चिल्लाती रही, सिसकती रही
हाथो को जोड़ने की कोशिश के साथ
बार बार ये विनती करती रही
छोड़ दो मुझे
हाय, छोड़ दो मुझे
मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है
अभी तो ख़तम हुआ नहीं
मेरा बचपन भी
क्यूं तुमने मुझे अपनी हवस का
निवाला बनाया है

हाय! बेटियां तुम्हारे भी होगी
या तुम्हे किसी औरत ना नहीं जना
तुम्हारे घरों में रहती औरतों ने
क्यूं तुम्हे अब तक जहर नहीं दिया

क्यूं छोड़ दिया है तुम्हे यू राहों पे
क्यूं अब तक फिर रही हो आजाद
क्यूं सच में अंधा है कानून
क्यूं कानून के रक्षक बन गए भक्षक
क्यूं मुझे बचाने की कोशिश में
कुछ राख हो गए
क्यूं मुझे धापने वाले
कतल हो गए
क्यूं नहीं कांपी धरा सुन चीत्कार ये मेरी
क्यूं नहीं जगा ईश्वर, जब लूटी लज्जा मेरी

बस, बहुत हो चुका, अब हुंकार उठानी है
हर नारी को अब अपनी, लाज बचानी हैं
जिस आंचल से ढकते है हम इज्जत अपनी
उसी साड़ी से आज, इन्हे फांसी लगाने है

खुले चौराहों पर कर देंगे नंगा
इन निर्लज्ज कमीनो को
दफन यही कर देंगे,
अब कसम ये खानी है

देव

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