फ़ुरसत निकल, कुछ वक़्त गुजार
अब भी, चंद दोस्त मिल ही जायेंगे
जो दूर ना कर सके परेशानियां तो क्या
निस्वार्थ हो, तुझे कुछ पल हसाएंगे
तेरे किस्से सुनेंगे, कुछ सुनाएंगे
तेरे गम को, अपना हिस्सा बनाएंगे
तेरी धड़कनों को पड़ सकेंगे वो
अपनी धड़कनों को सुनाएंगे
तू एक बार, बच्चा बन के दिखा
हम तुझे तेरा बचपन याद दिलाएंगे
फ़ुरसत निकल, कुछ वक़्त गुजार
अब भी, चंद दोस्त मिल ही जायेंगे
देव