जागो, उठो, बड़ों आगे।।

कब तक यू ही सोते रहोगे,
जागो, उठो, बड़ों आगे
कब तक तकदीर के भरोसे बैठे रहोगे।
कहते है, खुदा भी उन्हीं की सहायता करता है
जो पहले खुद अपनी किस्मत लिखता हैं
क्यूं फिर औरों के भरोसे बैठा है
क्यूं अपनों पे आस का ठेका है
क्यूं कल पे अपने रोता है
क्यूं कल के लिए परेशां होना है

हर आज एक नया सवेरा है
नए दिन से नया काम शुरू होना है
कल रात थी तो क्या
अब भोर का उजाला होना है
साहस ला तो सही एक बार जिगर में
दिल से डर का खात्मा होना है

अब बस पाने की बारी आती है
ये ना सोचो तू क्या खोओगे
जागो, उठो, कदम आगे बढ़ाओ तो सही
दुनिया अपनी मुट्ठी में कर लोगे

देव

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