कृष्ण बसे है मुझमें, तुझमें हर कण कण में।
फिर क्यूं ढूंढे तू खुदा के, मंदिर में मस्जिद में।।
मन ही मंदिर, मन ही मस्जिद, मन ही तो गुरुद्वारा है।
मूरत उसकी जहां बसा लो, वहीं समझो उपासना है।।
स्वयं को ढूंढ ले बंदे पहले, तू खुदा का साया है।
प्यार खुद से तो पहले करले, बाकी सब तो माया है।।
देव
Nice
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