तुम पास होकर भी, बहुत दूर थे
जाने, किस ख्यालों में मगशूल थे
कुछ पल तो बैठते, गुजारते साथ में
जब आ है गए थे मेरे चमन में रात में
माना, नशा थोड़ा मुझे, थोड़ा तुम्हे था
पर जुनून भी तो हमे कम ना था
फिर क्यूं तुमने कुछ ना कहा, ना किया
रात भर मुझे सोचने पर क्यूं मजबूर किया
अब भी बस, कल रात की बात सोचती हूं
क्यों तेरे करीब होकर, रही दूर मैं भला
क्यूं तुम मस्त, सपनों में अपने खो गए
क्यूं तुम, तन्हा रात मेरे भरोसे छोड़ गए
देव