कुछ लम्हे जिंदगी के,
यूं हो गए यादगार।
तेरे पहलू में बीता दिन,
आंगन में निकली रात।।
और फिर वही दिन,
तन्हा सा, बेजान रातें।
वहीं धीरे धीरे गुजरता वक़्त,
अनजान राहें।।
पर कुछ तो है
जो अब भी महसूस होता है।
मेरे जेहन में, अब बस
तेरा चेहरा रहता है।।
सांसों में, खुशबू तेरी
अब भी आती है।
करवट बदलता हूं
तेरे करीब होता हूं।।
अब डर नहीं लगता,
रातों के अंधेरों से,
तन्हा गलियारों में,
भीड़ भरे बाजारों में,
सुबह और शाम में,
गमों के बियाबान में,
अब तू जो है
हर वक़्त, हर पर
मेरे हर लब्ज़, हर बात में,
मेरे दिल की, हर आवाज में।।
देव