तुम खुश रहो,
मैं तो जी लूंगी।
रातों में नींद नहीं आई,
कुछ लम्हे याद कर लूंगी।।
माना, इश्क़ तो किया तुझसे,
पर माशूका ना बन सकी।
तेरे दिल में, जो जगह थी खाली,
शिद्दत थी मेरी जगह ना थी।।
अपने ख्वाबों में हर रात,
तेरी रूह से मुलाकात करी।
तू तब भी किसी और का था,
अब भी मेरा ना हुआ।।
दिल टूटने से अच्छा है,
तुझे खो दू जहां की भीड़ में।
इक बार आइना टूट जाए,
फिर चेहरा बेदाग कहां देखे।।
चल, जा और भी है मंजिले,
इंतजार में तेरे।
मेरी यादों का मकबरा,
मुझे हिलने नहीं देता।।
देव