साथ बैठ, जिनके , जीने की बात करी,
खंजर खोप पीठ पर, अपना परिचय दिया,
नज़रे उठा कर देखने में, फिर भी फक्र हुआ
लोग कहते है सही, अब मैं, मैं नहीं रहा,
निकला था छीनने दर्द, लोगो के राह में,
जब तक, मतलब रहा, मुझ पर यकीं किया,
वक़्त बदलते ही मुझे, दुत्कार भी दिया,
लोग कहते है सही, अब मैं, मैं नहीं रहा,
कुछ, खुशियां ही तो मांगी थी,
बदले में मैंने,
क्यूं दिया जहर, उसने बदले में प्यार के,
फिर भी, खुश रहने का, मौका उसे दिया,
लोग कहते है सही, अब मैं, मैं नहीं रहा।।
जिनको अपना कहा, उन ही ने कतल किया,
हां, सच है, अब, मैं, मैं कहा रहा।।
देव