आवारगी फिदा है,

तेरी सादगी पर, कितनी ही आवारगी फिदा है,
लिबास सादा है, पर फबती तेरी अदा है,

जमाने बाद देखा है, किसी को इस लाल बिंदी में,
आज भी, तुझ, औरत होने का, तुझे फक्र लगता है,

वही, बदन तो, शालीनगी से, ढांकता सा पल्लू,
तेरे कंधो से गिरता, जमीं को छूता है

और तेरी, सादगी भरी, मुस्कुराहट,
तेरा प्यार से बोलना, पलट कर देखना,
जाने कितनो की जान लेता है।।

देव

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