इक दिन नया, इतिहास यही

सांझ के पहलू में, बैठे,
बस रंगो से कुछ चर्चा चली,
इस गली जाएं, या जाएं उस गली,
सबब, कुछ ना पता,
ना मंजिले मालूम,
लेकर खाली कागज, यू ही,
भरने लगे, हम कच्चे रंग,
पहले बनी काया, थी तेरी,
फिर बनाया, चेहरा तेरा,
बिन दिल लगी, बेजान मुझको,
वो हसीं तस्वीर तेरी,
उस खुदा से , हाथ उठा के,
मांग ली, मैंने ये दुआ,
तू उठा के, मुझको पल में,
भर दे इसमें, जां मेरी,
ये वही है, जो रचेगी,
क दिन नया, इतिहास यही
इक दिन नया, इतिहास यही
इक दिन नया, इतिहास यही

देव

Leave a Reply