तू, फक्र से , औरत कहलाती है।।

तेरी तस्वीर का, जादू ही कुछ ऐसा है,
जो जेहन में आया, वो लिख नहीं सकता,
जो लिखना है, वो जेहन में नहीं आता,

तू अप्सरा है, तुझे नहीं गहनों की जरूरत,
यूं ही जीत लेगी दिलो को,
तेरे चेहरे की मुस्कुराहट,

और ये कान का झुमका,
तेरे चेहरे का नूर,
तेरी छिछली सी साड़ी से,
झांकता, तेरा सुरूर,

सादगी तेरी, सबसे अलग है
तू, कितनो के, दिल का जुनून है,

और, ये माथे पर, लगी बिंदी बताती है,
तू, फक्र से , औरत कहलाती है।।

देव

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