मैं नादान, तू मासूम थी,
चेहरे की मुस्कान, अनजान थी,
बस, एक तू ही, मेरी पहचान थी,
बस, तू ही मेरी, बची जान थी,
संघर्षों की घड़ी में, जीने की चाह,
भटके हुए मुसाफिर की सही राह,
अंधेरे में मेरे, उजाले की किरण,
तेरी मुस्कान ही, मेरा अरमान थी,
वक़्त, गुजरता गया,
तन्हाइयों को मेरी,
तेरी चंचलता से भरता गया,
तेरी निंदो में, मेरा दिन गुजरता गया,
तू सपनों में रही, तेरे सपनों को,
हकीकत बनाना, मेरा अरमान था,
पता ना चला, कब तू बड़ी हो गई,
हां, खुश हूं, तू मेरे जैसी हो गई,
और मैं तेरे जैसी,
मेरी परछाई, मैं बन गई,
जाने कैसे, आगोश में लिए तुझको,
मुश्किलों की घड़ी, गुज़र गई,
मेरी लाडो, मेरा सपना,
मेरी जान ए जिगर,
फक्र है मुझको,
कि तू मुझपे फक्र करती है,
मुझे खुश रखने के,
हजार जतन करती है,
एक तू ही है, जो पहचानती है मुझको यहां,
तू ही जानती है, क्या है बुरा,
क्या है मेरा भला,
अब, मेरी नींदों में, मेरे सपने,
तू ही बनती है,
मेरे सपनो को, हकीकत बनाने की,
ख्वाहिश रखती है।।
देव