यारो के साथ, मैं हुई मस्त मौला

तो क्या, दिन चला गया, लेकिन शाम तो है ना
तो क्या, कुछ नहीं बचा, पर ये शुरुआत तो है ना
तो क्या, लोग कुछ भी कहे, साथ मेरे तुम हो ना,
तो क्या, अब नहीं सावन, तेरी छाव तो है ना,

अब नहीं, परवाह, जमाने की, या तेरे ना होने की,
जिंदगी कैसे बिताने की, या मेरी परछाई को पालने की,
रात में सोने की, या कुछ खोने की,
शनिवार रविवार, यू तन्हा रहने की,

मिल गए है मुझे, यार कुछ दिल के करीब,
अब मैं वो नहीं, जो थी कभी गरीब
पहना है मैंने, अब नया चोला,
यारो के साथ, मैं हुई मस्त मौला।।

देव

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