कभी कभी निशब्द हो जाता हूं मैं,
भीड़ में खो जाता हूं मैं,
हां, यकीन नहीं होता ना तुमको,
क्यूं, अचानक, चुप हो जाता हूं मैं,
कुछ उथल पुथल सी मच जाती है,
जब शब्द ज्यादा हो जाते है, और बातें कम,
लोग ज्यादा हो जाते है, और रिश्ते कम,
तभी, तो तन्हा अक्सर होते है, साथ सबके,
यूं ही नहीं, मैंने लिखना सीख लिया,
जो बोल नहीं पता, उसे शब्दों से उकेर लिया,
समझने के लिए मुझको, ना पड़ना सीखो,
दो पल बांटो प्यार के, कुछ पल समेटो।।
देव