मैं बस उसके इश्क़ में, खोना चाहता हूं।।

सुना था, गर तुम शिद्दत से किसी को चाहो,
तो पूरी कायेनात, उसे तुमसे मिलाने में, जुट जाती है,

आज देखा भी है मैंने, काएनात को,
तुझे बुलाते हुए,
मेरी जमीं पर, तुझे आते हुए,

बस, एक दीदार भर की ख्वाहिश थी मेरी,
खुदाया मिल गया, उसके रूप का, खजाना मुझे,

मैं जानता नहीं, कि वो जानती है या नहीं,
मेरे उसके लिए , जज्बात पहचानती है या नहीं,

फर्क मुझे नहीं इससे, में तो बस चाहता हूं उसे,
पाना, मेरी जिद नहीं, बस ख्वाहिश है, वो भी चाहे मुझे,

उसके बस प्यार में, उसकी याद में जीना चाहता हूं,
वो ना भी मिले मुझको, कोई बात नहीं,
मैं बस उसके इश्क़ में, खोना चाहता हूं।।

देव

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