कैसे वादियां मुझे पड़ लेती है,
मेरी जिंदगी, खुद बयां करती है,
वो देखो, बादल भी कहते कहानी,
मेरे दिल के हालात, बोले अपनी जुबानी,
वो जो सूरज की किरणे, बनाती है रास्ता,
मेरे आने वाला, दिन होगा, और भी अच्छा,
पहाड़ों का बेतरतीब बिखरना,
था में कभी, असमंजस में खोया,
और वो, थोड़ी ही सही, हरियाली है कहती,
अभी भी है दिल में, मोहब्बत है बाकी,
अभी हूं यह, पर मंजिल वहां है,
दिखती है लदी, पेड़ो से चोटी,
कैसे वादियां मुझे पड़ लेती है,
मेरी जिंदगी, खुद बयां करती है।।
देव