क्या लिखूं, कैसे लिखूं,
कुछ नहीं सूझता,
तेरे रूप को बखारे,
वो लब्ज़ नहीं मिलता,
मूरत ही तेरी, काफी है,
धड़कने बढ़ाने को,
सामना तेरा, किस तरह,
ये दिल करेगा,
और चार चांद लगा दिए,
इस सादा लिबास ने,
एक नजर भर में,
दीदार ए यार कैसे होगा।।
देव
क्या लिखूं, कैसे लिखूं,
कुछ नहीं सूझता,
तेरे रूप को बखारे,
वो लब्ज़ नहीं मिलता,
मूरत ही तेरी, काफी है,
धड़कने बढ़ाने को,
सामना तेरा, किस तरह,
ये दिल करेगा,
और चार चांद लगा दिए,
इस सादा लिबास ने,
एक नजर भर में,
दीदार ए यार कैसे होगा।।
देव