बेसब्र सा दिन,
बेतरतीब सी रातें
और कुछ अधूरी मुलाकातें,
कुछ अधसिले से सपने,
कुछ बिनकहे किस्से,
उसकी आधी हसीं
मेरी आधी बातें
खो गए है कहीं
उसके तराने,
पर फिर भी,
आस एक बाकी है,
करीब ना सही वो,
उसका अहसास बाकी है,
मेरे जेहन में,
उसकी याद बाकी है।।
देव
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बेसब्र सा दिन,
बेतरतीब सी रातें
और कुछ अधूरी मुलाकातें,
कुछ अधसिले से सपने,
कुछ बिनकहे किस्से,
उसकी आधी हसीं
मेरी आधी बातें
खो गए है कहीं
उसके तराने,
पर फिर भी,
आस एक बाकी है,
करीब ना सही वो,
उसका अहसास बाकी है,
मेरे जेहन में,
उसकी याद बाकी है।।
देव