उसके घर तक का, सफर याद है…

अब कहां रास्ते याद रहते है,
बस, एक उसके घर तक का,
सफर याद है,
उसकी गली में लगा वो,
लैंप पोस्ट याद है
उसके इंतेज़ार में,
बिताए वो पल याद है,
उसकी हसीं सुनने वाले,
वो मंजर याद है,
हां, उसका मजाक में पागल,
बोलना याद है,
उसके हाथ का बनाया,
वो परांठा याद है,
कॉफी को, एक नए अंदाज़ में,
बनाना याद है,
हां, अब कहा रास्ते याद रहते है,
बस, एक उसके घर तक का,
सफर याद है।।

देव

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