मेरे लिखने पर ना जाना,
मैं तो बस, अपने इरादों को,
कागज पर उकेरता हूं,
माना, तू प्रेरणा है मेरी,
जिक्र तेरा आता है, हर रचना में मेरी,
मगर तेरा नाम, लिखने में डरता हूं,
हां, मैं तुझे चाहता तो हद से ज्यादा हूं,
और जानता हूं, तू भी चाहती है मुझको,
बस, कुछ वक़्त सा चाहिए, समझने को मुझको,
बड़ी उलझी सी, जिंदगानी है मेरी,
बड़े उतार चड़ाव वाली कहानी है मेरी,
और कैसे, तू बस यूं ही,
यकीं मुझ पर कर ले,
देखे है तूने भी बड़े सावन,
रख पतझड़ अपने दिल में,
नहीं, मुझे बुरा नहीं लगता,
जब तू ना कहती है,
तेरी हर ना में मुझे, अपने लिए,
एक नई चुनौती दिखती है,
ये जीतने की चुनौती नहीं,
ग़लत मत समझना,
ये तो तेरे दिल में, एक मुकम्मल जगह,
बनाने का ख्वाब है,
तुझे पाने का नहीं,
तेरा हो जाने की बात है।।
देव