जाने कितना कहा,
फूल ना तोड़ो,
मगर कहा मानते है,
कभी खुशी में,
कभी मातम में,
कभी खुदा पर,
कभी खुदाई पर,
और कभी खुदा की बनाई,
अदा पर,
फूल बरसाते है,
और चमन है कि,
कुछ नहीं कहता,
बस, और देता है,
जुदा होता है
सबसे हसीं भाग से,
और खुश रहता है,
देव
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जाने कितना कहा,
फूल ना तोड़ो,
मगर कहा मानते है,
कभी खुशी में,
कभी मातम में,
कभी खुदा पर,
कभी खुदाई पर,
और कभी खुदा की बनाई,
अदा पर,
फूल बरसाते है,
और चमन है कि,
कुछ नहीं कहता,
बस, और देता है,
जुदा होता है
सबसे हसीं भाग से,
और खुश रहता है,
देव