घातक भूख है, या करोना

क्या करते बेचारे,
कोरॉना से, या भूख से,
किसी से तो मरना है,
पर कॉरॉना तो वैसे भी
अमीरों को होना है,
गरीबों को तो वो भी ,
नहीं छेड़ता है,
आखिर चायना का बिजनेस,
हम गरीबों से ही तो चलता है,

और सब तो पच जाता है,
चाहे कितना भी पॉल्यूशन ही,
इन फेफड़ों में सब कुछ छन जाता है,
एयर पुरिफायर तो, अमीरों के,
फेफड़ों को ही पसंद आता है,

जो मिलता था, वही खा लेते थे,
दिन में कमाते थे,
रात में उड़ा दिया करते थे,
अब, ना काम है, ना कमाई,
बेकार बैठने से, भूख ने भी,
बार बार ली है अंगड़ाई,

बच्चो को देखा है,
पसलियां निकल आईं है,
भूख ने, कुछ दिन में ही,
हिम्मत हराई है,
कहते हैं, सब नहीं मरते करोना से,
पर भूख ने तो सबकी,
मती फिराई है,
बाबूजी,
कैसे देखू, इन बच्चो को बिलखते हुए,
पल पल में, ख्वाहिश भरी,
नजरो से तकते हुए,
जरा आइए मेरे घर,
देखिए हाल मेरा,
फिर बताना,
घातक भूख है, या करोना।।।

देव

2 thoughts on “घातक भूख है, या करोना

  1. बेहतरीन………. छान के रख दिया है आपने अपने शब्दों से गरीबी को यहां…👌👌

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