स्त्री पुरुष की समानता

कहने को तो बात, समानता की है,
स्त्री पुरुष की समानता,
और में भी हूं, यही मानता,
मगर, फिर भी इतना अंतराल क्यूं है।

करेक्टर गर खराब है,
तो खराब है, क्या कहे,
मगर पुरुष को करे बोल्ड,
और स्त्री को बोल्ड कहना क्यूं है।

जो बात, गलत है,
उस बोलना ही क्यूं है,
मगर, पुरुष को बोलना आम है,
और स्त्री पे बवाल मचता क्यूं है,

दहेज, एक नपुंसकता है,
स्त्री से मांगा जाए तो सजा,
मगर, पुरुषों से अब भी,
कितना कमाते ही, पूछा जाता क्यूं है।

क्यूं नहीं, स्त्री में पौरुष्य,
और पुरुष के स्त्रीत्व को निखारा जाए,
एक दूसरे को, एक दूसरे के,
वास्तव में समान माना जाए,

जो है, पर नहीं दिख रही, बुराइयां,
उसे नए प्रयासों से मिटाया जाए,
एक नया आयाम, नई राह
इस समाज को दिखाई जाए।।

देव

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