गैरों की हंसी में, खुशी अपनी, ढूंढ लेता हूं,
मैं अक्सर, दर्द में भी, थोड़ा हंस लेता हूं,
मंजर अक्सर, मेरे आस पास, खास नहीं होते,
आम महफ़िल में भी, खास तराने सुन लेता हूं,
वो शराब के नाम पर, पानी पिला देते है मुझको,
मैं पानी के नशे में भी, मस्त झूम लेता हूं,
मेरी किस्मत में भी, कुछ कम लिखा है खुदा ने,
जो दिया, उसका शुक्रिया, जी भर के करता हूं,
मेरी संगत, अब कहा रास आती है उनको,
फिर भी उनके नाम पर, नज़्में बोल देता हूं।।
देव
22 may 2020