जिंदगी है, पल को मिली थी

वो फिर से चल पड़ी,
उसी राह पर, जो
कभी पीछे छोड़ आईं थी,
तन्हा थी अब तक,
अब महफ़िल में उसकी,
फिर से, जवानी छाई है,
कह रही थी, कब तक,
रहूंगी में यूं तन्हा,
मेरे भी सपने थे कुछ,
कुछ थी मेरी भी ख्वाहिशें,
चंद पूरी हुई, मगर
ना रास्ते मेरे थे, ना मंजिले,
बाकी, बस रह गई,
कुछ ओस बन कर उड़ गई,
कुछ बर्फ सी जमती गई,
मैं, जहां थी, बस,
वही खड़ी राह गई,

जिंदगी है, पल को मिली थी,
पल में, रुखसत कर गई।।

देव

2 june 2020

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