वक़्त गुजरता जा रहा है,
पर साथ नहीं मिलता,
थाम लू, जिंदगी भर को,
वो हाथ नहीं मिलता।।
अब तो आदत भी,
तन्हाई की हो गई है,
है तो बहुत, मगर,
कोई पास नहीं मिलता।
रातें भी , आंखों ही,
आंखो में, निकल जाती है,
नींद तो आती है अक्सर,
मगर ख्वाब नहीं दिखता।
थाम लू, जिंदगी भर को,
वो हाथ नहीं मिलता।।
देव
2 june 2020