उम्र बढ़ती रही, हुस्न संवरता रहा,

दिन ब दिन रूप निखरता गया,
उम्र बढ़ती रही, हुस्न संवरता रहा,

नहीं ये झुर्रियां, बुढापे की, निशानी है,
तेरे चेहरे पर इन्हे, किस्मत आजमानी है,

आज भी आइना, तुझसे शर्माता है,
तुझसे सच, वो भी, नहीं बोल पाता है।।

देव

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