टूटे हुए दिल को, सीने की कवायद कर रहे है,
कुछ लोग मुझसे, झूठी मोहब्बत कर रहे है।
कांच के टुकड़ों को जुड़ते, क्या देखा है कभी,
टूटे ख्वाबों को मेरे, जोड़ने का जतन कर रहे है।
कुछ लोग मुझसे, झूठी मोहब्बत कर रहे है।
चोट दिल पर है लगी, मरहम लगाते है बदन पर,
कर बातें पुरानी, जख्मों को हरा कर रहे है,
कुछ लोग मुझसे, झूठी मोहब्बत कर रहे है।
घर शीशे का बना, मुझ पर कसीदे कर रहे है,
घोप खंजर पीठ में अपनों के, मेरे यार बन रहे है,
कुछ लोग मुझसे, झूठी मोहब्बत कर रहे है।
देव
1 जुलाई 2020