लिहाफ ओढ़े बैठोगे कब तक,
रातों में तन्हा, रहोगे तुम कब तक,
नहीं जिंदगी, गुजरनी है ऐसे,
बहाने बनाते, रहोगे यूं कब तक।
तुम है नहीं तन्हा, हम भी यहां है,
मोहब्बत की ये इक, अजीब दास्तां है,
उमर है गुजरी, फिर भी जवां है,
बतादो ये चालीस नहीं, साल बीसवा है।
खबर है क्या उनको, क्या हमने किया है,
ग़ज़लों में किए, अपने किस्से बयां है,
तुम भी करो, कुछ तो करके दिखाओ,
बचे जो पल है, उन्हें जी कर दिखाओ।।
देव
4 जुलाई 2020