सुरूर ए इश्क़, उसको था जब चढ़ा,
महफ़िल में भी लगती थी, वो तन्हा,
तन्हाइयों में, मुस्कुराती रहती थी,
अक्सर, खुद से ही बातें, करती थी,
थोड़ी बेसब्री, थोड़ा सुकून भी था,
इश्क़ का थोड़ा, उसे जुनून भी था,
ना थी नफ़रत, ना जलन ही थी,
बस मोहब्बत, जेहन में फैली थी,
नज़रों में उसके, प्यार का खुमार था,
चेहरे से दिखता था, हां, उसे प्यार था।।
देव