सात फेरों की पाबंद नहीं, मोहब्बत मेरी

लोगो की तो आदत है, कुछ भी बोलते है,
बेखौफ, जीने की आदत, है तुझे, मुझे भी।


फिक्र ना कर, रस्म ओ रिवाज की तू जरा,
सात फेरों की पाबंद नहीं, मोहब्बत मेरी।।

देव

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