लोगो की तो आदत है, कुछ भी बोलते है,
बेखौफ, जीने की आदत, है तुझे, मुझे भी।
फिक्र ना कर, रस्म ओ रिवाज की तू जरा,
सात फेरों की पाबंद नहीं, मोहब्बत मेरी।।
देव
लोगो की तो आदत है, कुछ भी बोलते है,
बेखौफ, जीने की आदत, है तुझे, मुझे भी।
फिक्र ना कर, रस्म ओ रिवाज की तू जरा,
सात फेरों की पाबंद नहीं, मोहब्बत मेरी।।
देव